Nano Diamond Battery क्या है | 28000 वर्षों तक चलने वाली बैटरी

Hindiblogger
5 min readMar 24, 2021

आज हमारे पास दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले बहुत से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हैं जो बैटरी से चलते हैं| अब या तो यह डिवाइस आपका स्मार्टफ़ोन हो सकता है या फिर आपके हाथ की घड़ी|लेकिन आप यह भी जानते हैं कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करने के लिए हमें इन्हें चार्ज भी करना पड़ता है| वर्तमान समय में इसी बात को ध्यान में रखते हुए Nano Diamond Battery का Concept सामने आया है| जहाँ एक ऐसे बैटरी का निर्माण संभव है, जिसे कभी बदलने या चार्ज करने की जरुरत नही पड़ती है|

हालाँकि यह सुनने में असंभव सा लगता है लेकिन मैं आपको बता दूं- NDB कंपनी ने एक नई बैटरी तकनीकी के बारे में दावा किया गया है| “परमाणु कचरें (Nuclear Wastes) से निर्मित एक ऐसा बैटरी जिसे हजारों वर्षों तक बिना चार्ज किये इस्तेमाल किया जा सकता है|”

फिलहाल कंपनी अभी इस कांसेप्ट को डेवेलप करने में जुटी हैं जिससे की भविष्य में आने वाली तकनीकी को बेहतर बनाया जा सके| कंपनी का लक्ष्य है की सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तथा इलेक्ट्रिक गाड़ियों को जीवन भर के लिए स्व-चार्जिंग (Self-Charging) ग्रीन बैटरी बनाया जा सके|

आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा की क्या ऐसा हो सकता है? आखिर इस बैटरी में क्या है, जो हजारों सालो तक चलती रहेगी| यह समझने के लिए सबसे पहले आपको इस बैटरी के सिद्धांत, रचना तथा कार्यपद्धति के बारे में समझना होगा| तो चलिए शुरू करते हैं|

नैनो डायमंड बैटरी क्या है (What is Nano Diamond Battery)

यह एक स्वतः चार्ज (Self-Charging Battery) होने वाली बैटरी है| इसे एक अमेरिकन कंपनी NDB ने बनाया है| NDB के अनुसार- नैनो डायमंड बैटरी को कार्बन-14 और आर्टिफिशियल डायमंड की मदद से बनाया जाता है|

जबकि कार्बन -14 एक रेडियोएक्टिव पदार्थ है जो काफी खतरनाक है| इसलिए इसके रिसाव को रोकने के लिए हीरे के लेप का प्रयोग किया जाता है| इस लेप से बैटरी कार्बन का उत्सर्जन नहीं करती है जिससे हरित ऊर्जा (Green Energy) का स्रोत बनता है|

कंपनी के अनुसार- यह लिथियम-आयन बैटरी की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि इसमें Heating(गर्माहट) और Explosion(विस्फोट) का खतरा नहीं होता है| इस बैटरी डिजाईन को DNV (Diamond Nuclear Voltaic) कहा जाता है|

इसमें एक मल्टी लेयर स्टैक व्यवस्था का उपयोग किया जाता है जो उच्च उर्जा उत्पादन के लिए बैटरी की क्षमता को अधिकतम करने का काम करता है| जबकि हीरा चार्ज को स्टोर करता है|

नैनो डायमंड बैटरी कैसे काम करती है?

DNV(Diamond Nuclear Voltaic) या नैनो डायमंड बैटरी में चार्ज संग्रह करने की सुविधा होती है जिसमें दो संपर्क सतहें होती हैं|

पहला भाग — सेमीकंडक्टर का बना होता है| और

दूसरा भाग — मेटल और सिरेमिक के संयोजन से बना होता है|

जिस प्रकार एक आम बैटरी सिस्टम में सकारात्मक और नकारात्मक संपर्क सतहें बनीं होती हैं ठीक उसी प्रकार स्टैक व्यवस्था बनाने के लिए बहुत से एकल इकाइयाँ एक दूसरे से जुडी होती हैं| DNV स्टैक के प्रत्येक परत में उच्च ऊर्जा आउटपुट स्रोत होता है|

यदि अब भी आपको समझ में नहीं आया तो कोई बात नहीं| तो चलिए आसान शब्दों में बैटरी के अलग — अलग हिस्सों के माध्यम से कार्यप्रणाली को समझने का प्रयास करते हैं| NDB एक परमाणु रिएक्टर की तरह काम करता है जिसमें इसके अन्दर ही स्वतः ऊर्जा बनती है|

बैटरी के मुख्यतः तीन भाग हैं जो नीचे दिए गये हैं-

1. बाहरी भाग — जो आर्टिफिशियल डायमंड से बना होता है|

2. आतंरिक भाग — एक रेडियोएक्टिव पदार्थ कार्बन -14 के Waste से बना होता है|

3. बाहरी भाग पर लगाया गया लेप — जो एंटी — रेडियोएक्टिव डायमंड से बना होता है|

NDB को कार्बन — 14 परमाणु कचरे से बनाया जाता है तथा उपरी सतह पर रेडियोएक्टिव रोधी हीरे का लेप लगाया जाता है जिससे की रिसाव न हो| बैटरी में मौजूद रेडियोएक्टिव तत्वों के कारण इलेक्ट्रॉन्स का निर्माण होता है जिससे बैटरी के अन्दर स्वतः बिजली पैदा होती रहती है|

परमाणु कचरा (What is Nuclear Waste)

परमाणु ऊर्जा उत्पादन के समय अलग — अलग स्टेज में उत्पादित अपशिस्ट पदार्थ को सामूहिक रूप से परमाणु कचरा कहा जाता है| आसान शब्दों में कहें तो “परमाणु रिएक्टरों में उत्पन्न परमाणु ऊर्जा के उपयोग से अपशिष्ट पदार्थ निकलते हैं उन्हें परमाणु कचरा कहा जाता है|”

परमाणु कचरों से मानव जीवन पर गहरा संकट छाया हुआ है जिससे विभिन्न तरह के रेडियोएक्टिव हानिकारक पदार्थ बहार निकलते हैं| इस गहरे संकट से हवा, पानी, जीव- जंतु तथा मानव सभी प्रभावित होते हैं|

आज के समय में मानव जीवन का सबसे बड़ी समस्या Nuclear Waste है हालांकि इससे ज्यादा मात्रा में बिजली उत्पन्न होती है तथा यह हमारे वातावरण के बहुत कम मात्रा में प्रदूषित करते हैं| लेकिन मानव के लिए सबसे बड़ा संकट वर्तमान समय में परमाणु कचरा ही है|

यदि भविष्य में नैनो डायमंड बैटरी की सफलतापूर्वक परिक्षण हो जाता है तो यह मानव के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी| इससे परमाणु कचरे को Recycle करके नई ऊर्जा के स्रोत का मार्ग खुलेगा|

क्या यह बैटरी 28000 वर्षों तक चल सकती है?

NDB के अनुसार यह बैटरी 28000 साल से भी ज्यादा चल सकती है यदि इस बैटरी में परमाणु कचरे की बजाय शुद्ध कार्बन का इस्तेमाल किया जाय| जबकि अधिकांश दावों में अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है|

NewAtlas.com ने अपने वेबसाइट के माध्यम से एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें कंपनी को 27 अगस्त 2020 तक अपडेट जारी करना था लेकिन अभी भी यह दावे हैं| फिलहाल यह वैज्ञानिक तथ्यों द्वारा समर्थित नहीं है|

विज्ञान में ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार — “कोई भी बैटरी 100 % कुशल नहीं हो सकती|” हालाँकि इस समय NDB कंपनी के पास डाटा की कमी है इसलिए अभी कुछ कहना कठिन है| इसलिए अभी हम लोग इंतजार ही कर सकते हैं|

निष्‍कर्ष (Conclusion)

भविष्य में तकनीकी का विस्तार होना स्वभाविक है| जिस प्रकार वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अपना वर्चस्व स्थापित कर रहा है ठीक उसी प्रकार आने वाले समय में भी नैनो डायमंड बैटरी को पूरी तरह डेवलप किया जा सकता है|

आशा करता हूँ की यह पोस्ट NDB या नैनो डायमंड बैटरी क्या है ? (What is Nano Diamond Battery in Hindi) ? आपको पसंद आया होगा तथा दी गयी जानकारी से “Nano Diamond Battery” के सम्बन्ध में काफी मदद मिली होगी|

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